पूर्व सीएम शांता कुमार के फेसबुक पेज से
प्रभु कृपा से मैं और मेरा परिवार स्वस्थ होकर सामान्य जीवन व्यतीत कर रहा है । बच्चों ने मुझे भी संभाला है । मेरी बड़ी पोती गरिमा के साहस से मैं कुछ कह सका , वीडियो बना और वे वीडियो 16 लाख से अधिक लोग देख चुके हैं।
मेरी 12 साल की छोटी पुत्री स्वाति भी बड़े साहस से मेरा ध्यान रख रही है । कुछ दिन पहले उसे दादी की याद आई । मैं सोने लगा था बह मेरे पास आई , सामने कुर्सी पर बैठी और फूट-फूट कर रोने लगी और कहने लगी ” दादा – मुझे ‘दादी’ की बहुत याद आ रही है – भगवान अच्छे नहीं है क्यों ले गए मेरी ‘दादी’ को । ” कुछ देर हम दोनों आंसू बहाते रहे – फिर मैंने उसको बुलाया – प्यार से गले लगाया और बहुत समझाया । मैंने कहा – बेटी अंतिम समय मैंने तुम्हारी – दादी से एक वादा किया है – “मैंने कहा था संतोष तुम अंतिम यात्रा पर बिल्कुल निश्चिंत होकर जाओ । मैं तुम्हें अपनी तरफ से अपने प्यारे बच्चों की तरफ से सभी सम्बन्धियों और मित्रों की तरफ से विश्वास दिलाता हूं कि हम हिम्मत के साथ जिएंगे और तुम्हारी याद में आंसू ही नहीं बहाएंगे मुस्कुराने की कोशिश भी करेंगे ।”
स्वाति ने बड़े ध्यान से सुना और कहने लगी ‘दादा’ अब मैं बिल्कुल ठीक रहूंगी । इस प्रकार आपको रुलाउंगी नहीं और चली गई । फिर उसने पानी से अपना मुंह धोया और 10 मिनट के बाद फिर मेरे पास आई वह दरवाजा बंद करके मुस्कुरा कर कहने लगी ‘दादा ‘ आप भी गाना गाओ मैं आप का वीडियो बनाऊंगी । मैं हैरान हुआ उसको देखा बिल्कुल बदली हुई स्वाति । मैंने कहा बेटी अभी गाना गाने का कोई मूड नहीं है – उतर आई अपनी जिद पर उसका कहना मानना पड़ा पूरा गाना गाया – यह दौलत भी ले लो | उसने वीडियो बनाया और दूसरे दिन भी विदेश में रहने वाली बेटी को भेज दिया । सुबह-सुबह मलेशिया से बेटी का फोन आया कहने लगी – बड़ा मजा आया आप पूरी तरह से स्वस्थ है ।
परसों स्वाति आई गले में हाथ डाले बड़ी देर प्यार करती रही फिर मेरे कान में क्या नहीं लगी ” ‘दादा’ अब आप ही ‘दादी’ हैं और आप ही ‘दादा’ है। ” बड़ी देर उसे प्यार करता रहा ।
मैं प्रभु का धन्यवादी हूं आप सब मित्रों ने और मेरे परिवार ने मुझे संभाल लिया है। अब नींद आने लगी है । तीन दिन से प्रात उठकर योग और प्राणायाम करना शुरू कर दिया है । ध्यान नहीं हो रहा – क्योंकि ध्यान लगाता हूं तो सामने संतोष आ जाती है । अभी ध्यान नहीं करूंगा । आभारी हूं प्रभु का – आप सबका ।
आप सब भाई बहिनों से एक बात कहना चाहता हूं कि मेरी यह दो पोतिया बेटों से कम है – हरगिज़ नहीं । यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है । बेटे की इच्छा में पता नहीं क्या कुछ होता रहता है, याद रखिए बेटा – बेटी बराबर है । प्रभु का आशीर्वाद है । अब यह पाखंड समाप्त होना चाहिए । मंदिर में जाएंगे तो यह जय-माता, जय-माता करते जाएंगे । वर्ष में कई बार कन्या का पूजन करेंगे । लेकिन जब कन्या घर में जन्म लेने लगेगी तो कई जगह उसे रोकने के लिए क्या कुछ नहीं करते । यह पाखंड है । यह प्रभु का अपमान है । भारत की संस्कृति का उपहास है । मेरे बेटे विक्रम की दो वेटियाँ और मेरी पोतियां गरिमा-स्वाति हमारे लिए बेटे के बराबर है ।
बेटी को जन्म लेने से रोकने की कोशिश का दुख मनाना एक अपराध भी है और महा पाप भी है । ऐसा कहीं मत होने दीजिए । बेटी के जन्म पर वैसे ही खुशी व समारोह होना चाहिए जैसा बेटे के जन्म पर होता है