ग़ज़ल एक ऐसी खूबसूरत विधा,जिसमें आज काफी नौजवाँ शायर अपने ख्यालात को पिरो रहे हैं । आज ग़ज़ल ने जो मुकाम हासिल किया है, इसके लिये कई शायरों ने तवील सफर किया। हिंदुस्तान में यह सफर फिरदौस, अमीर खुसरो से शुरू होता है और वली दकनी, कुतुब अली शाह से कारवां आगे बढ़ने लगता है। गुजरात के दकनी से हैदराबाद और फिर आगरा, लखनऊ व दिल्ली की गलियों में ग़ज़ल शमाएं रौशन होती हैं । इस तरह पूरे हिंदुस्तान में ग़ज़ल की शम्अ फिरोजां होती है जो आज भी रौशन है और रौशनी का सफर आगे बढ़ा रही है।
यह शम्अ हिंदुस्तान के छोटे से हिमालय के आँचल में बसने वाले हिमाचल में भी रौशन हुई। यहां के कई शायरों ने इसकी रौशनी पाई और शम्अ आगे रौशन कीं, लेकिन समय एक इंकलाब चाहता है। यह इंकलाब होना भी चाहिए । चाहे साहित्य हो या समाज, इंकलाब जरूरी है।
हिमाचल में ऐसा ही एक इंकलाब का आगाज़ ‘हिम्दवी’ कर रही है । ग़ज़ल जैसी खूबसूरत विधा लेकर ‘ हिम्दवी’ एक नया कारवां लेकर चली है। इस सफर में अभी कुछ साथी जुड़े हैं, लेकिन आशा है यह कारवां आगे बढ़ेगा। इसी के चलते ‘हिम्दवी’ ने ऑनलाइन मीटिंग की, जिसमें कांगड़ा के वैद्यनाथ से शायर व हिम्दवी के संयोजक विकास राणा, शिमला से शायर सुमित राज वशिष्ठ, कांगड़ा के रानीताल से शायर आशीष ‘रौशन’, धनेटा से रिषभ शर्मा और नादौन से एस अतुल अंशुमाली शामिल हुए। इस दौरान ग़ज़ल विधा और ‘हिम्दवी’ पर चर्चा हुई।
‘हिम्दवी’ हिमाचल में शायरों को जोड़ेगी और ग़ज़ल विधा पर काम करेगी : विकास राणा
संयोजक विकास राणा ने बताया कि ‘हिम्दवी’ ऑनलाइन व ऑफलाइन काम करेगी। हिमाचल में ग़ज़ल का बेहतर भविष्य है, लेकिन यहां एक ऐसे मंच की कमी है जो साहित्य के लिए गंभीर हो और प्रतिभाओं को निखारे। ‘हिम्दवी’ ऐसा ही एक मंच बनेगी, जिससे खुद लोग इससे जुड़ने के लिए आगे आएं। इसके लिए ‘हिम्दवी’ अपना एक पोर्टल बना रही है, जिसमें शायरों की बेहतरीन ग़ज़लें शामिल की जाएंगी और नए सीखने वालों के लिए ग़ज़ल व अन्य काव्य विधा से जुड़ी जानकारी विस्तार से उपलब्ध की जाएगी। इसके अलावा ऑनलाइन-ऑफलाइन मुशायरे और शायरी पर वर्कशाप भी आयोजित की जाएगी।
शानदार पहल,हिमाचल में ग़ज़ल विधा पर संगठित रूप से कार्य करने की बहुत आवश्यकता है। इस पहल के लिए ‘हिन्दवी’को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ।