शिमला। हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह शनिवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। शिमला जिले के रामपुर बुशहर के जोगनी बाग में राजा वीरभद्र सिंह का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार के समय हजारों की संख्या में पहुंचे लोगों ने वीरभद्र सिंह को नम आंखों से विदाई दी।
अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब, वाद्य यंत्रों से दी अंतिम विदाई
हिमाचल के छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह की अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ा। लोकवाद्य यंत्रों की धुनों के साथ वीरभद्र सिंह को अंतिम विदाई दी गई। शवयात्रा में प्रदेश व बाहरी राज्यों से भी लोग पहुंचे। अंतिम यात्रा में लगभग 20 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए। वीरभद्र सिंह के पैतृक राजमहल पद्म पैलेस में शनिवार सुबह से दोपहर बाद रस्में चलती रहीं। दोपहर बाद 3:30 बजे जब वीरभद्र की पार्थिव देह अंतिम यात्रा के लिए बाहर लाई गई तो राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर करीब एक किलोमीटर तक जनसैलाब उमड़ आया। शाम 4:15 बजे वीरभद्र सिंह को बेटे विक्रमादित्य सिंह ने मुखाग्नि दी। इससे पहले पुलिस की टुकड़ी ने उन्हें सलामी दी।
हिमाचल समेत कई राज्यों से पहुंचे नेता
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र की अंतिम यात्रा हिमाचल समेत कई अन्य राज्यों से भी नेता पहुंचे। इस दौरान हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता पवन बंसल, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला सहित कई अन्य नेता उपस्थित रहे।
विक्रमादित्य का राज्यभिषेक, 123वें राजा बने
वीरभद्र सिंह के पार्थिव शरीर के सामने पद्म पैलेस में उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह का राज्याभिषेक किया गया। विक्रमादित्य सिंह को बुशहर रियासत का 123वां राजा चुना गया है। बुशहर रियासत भगवान कृष्ण की वंशावली से संबंधित मानी जाती है। शनिवार सुबह विक्रमादित्य को पीपल के पेड़ के नीचे राजगद्दी पर बैठाया गया। यह प्रक्रिया परदे में हुई। इस दौरान इसके लिए बनाए राजगद्दी कक्ष में केवल राजपरिवार के चुनिंदा लोगों और पुरोहितों को ही अंदर आने की अनुमति दी गई थी।