नई दिल्ली। आजाद भारत में पहली बार किसी महिला को फांसी होगी। आजाद भारत के इतिहास में यह पहली बार है जब किसी महिला को आपराधिक कृत्यों के लिए फांसी होगी। इसके लिए मथुरा की जेल में तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। दरअसल यूपी के अमरोहा जिले के बाबनखेड़ी गांव में साल 2008 में महिला ने प्रेमी के साथ मिलकर अपने ही परिवार के सात लोगों को कुल्हाड़ी से काटकर मौत के घाट उतार दिया था।
इस मामले में निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने उसकी फांसी की सजा को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रपति ने भी शबनम और सलीम की दया याचिका खारिज कर दी है। आजादी के बाद पहली बार ऐसा होने जा रहा जब किसी महिला कैदी को फांसी होगी।
शबनम के चाचा और चाची दोनों को चैराहे पर लटकाने की मांग कर रहे हैं। बता दें कि साल 2008 में षोकत अली की बेटी शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर प्रेम संबंधों के चलते अपने परिवार के सात सदस्यों को कुल्हाड़ी से काटकर मौत के घाट उतार दिया था। घटना का खुलासा होने पर दोनों को जेल भेज दिया गया था।
अमरोहा की जिला अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने दोनों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है। इस फैसले के बाद गांव के लोगों में खुशी का माहौल है। शबनम के चाचा सत्तार अली का कहना है कि जैसी करनी वैसी भरनी। जिसने सात लोगों को मार दिया उसका जिंदा रहना सही नहीं है।