कागडा : चंगर क्षेत्र की कुलदेवी कन्या देवी मंदिर को बेशक कम लोग जानते हैं लेकिन मंदिर का इतिहास समाज को एक संदेश देने वाला है कि कैसे एक लालची राजा लालच में आकर सब कुछ खो बैठा । चंगर क्षेत्र के तहत आने वाले गांवों के लोगों में जनश्रुति या गाथा है कि सैकंडो वर्षों पहले एक राजा अपनी बेटी पर मोहित हो गया था। उसने सभा बुलाई और सभी मंत्रियों व राजदरबारियों से पूछा कि घर की में अच्छी चीज हो तो उसका क्या करना चाहिए। सभी ने कहा कि घर में रखना चाहिए। एक टीवी चैनल से बातचीत में मंदिर के पुजारी ने बताया कि बेटी उस समय जब करीब 12 या 14 साल की थी। सभी मंत्रियों व राजदरबारियों की बात सुनने के बाद राजा उस पर पूरी तरह मोहित हो गया। इसके बाद उसने विवाह करने की सोची। सभी इंतजाम करने के बाद जब राजा डोली लेकर जाने लगा और बेटी को पता चला की उसकी शादी होने वाली है और वह भी पिता के साथ। तो वह भाग गई और भागते-भागते सुलह विधानसभा के क्षेत्र झरेट में पहुंच गई। यहां से करीब 100 मीटर की दूरी पर अदृश्य हो गई और राजा और उसकी पूरी बारात एक चट्टान बन गई। वह चट्टान आज भी वहां मौजूद है। हालांकि हिमाचल ब्रेकिंग इस तथ्य की पुष्टि नहीं करता है।
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हर वर्ष लगता है मेला
कन्या देवी मंदिर में हर साल जून के पहले हफ्ते या दूसरे हफ्ते में यहां मेला लगता है।जिसमें आसपास के गांवों के लोग अपनी फसल का चढ.ावा चढ.ाते हैं। वहीं, मेले के दौरान यहां पर खेलकूद प्रतियोगिता भी करवाई जाती है।
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मंदिर के पास तालाब में मछलियां बनीं आकर्षण
मंदिर से 100 मीटर की दूरी पर ऊपर एक तालाब है। तालाब में मछलियां इन दिनों आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
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ऐसे पहुंचे मंदिर
कांगडा से करीब 20 किलोमीटर नगरोटा बंगवा क्षेत्र है। वहां से आप झरेट जाने वाली बस से यहां पहुंच सकते हैं। नगरोटा बस स्टैंड से बसें समय-समय पर हैं और यहां से दूरी 10 किलोमीटर है।