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Tuesday, November 19, 2024

लाहुल स्पीति : बर्फ से मिन्नत, अब जो शुरू हुए तो…

“बर्फ से मिन्नत “
अब जो शुरू हुए तो थम न जाना
झूम झूम के बरसना जी भर के बरसना
पूरा दिसम्बर इस आस में बीता कि अब बरसा -2
अब जनवरी भी आ गया अब भी नहीं तो फिर कब
मार्च अप्रैल में तो नहीं करेंगे स्वागत
बस वक्त यही है खूब बरसो जम के बरसो
यहां के खेत खलिहान
पशु पक्षी नदी व तालाब
सूखे जंगल व चश्मे
तुम पर ही हर एक की आस टिकी
स्पीति के इस वीरान भूभाग पर इतना बरसो
कि सबको अगली गर्मी हरी भरी व लहलहाती मिले
घाटी घाटी कोना कोना हिम से ढक जाए
अगली गर्मी नई सुबह की शुरुआत हो जाए।
ये पंक्तियां हमें काजा से चेमत दोर्जे ने भेजी हैं। वह इस भाव के जरिए बहुत कुछ कह रहे हैं।
नोट -ऐसे ही अन्य पाठक जो सहित्य, कविता या कहानियों में रूचि लेते हैं। वह हमे जीमेल आईडी kps786mandi या व्हाट्सएप नंबर 9817053745 या 9816675301 पर भेज सकते हैं। हम प्रकाशित करेंगे। हमारा फेसबुक पेज himachal breaking जरूर लाइक करें।

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