अनंत में विलीन हुई लता मंगेश्वर, यह वो आवाज है जिसे 30,000 गीतों में जब तक प्रकृति में संगीत है, तब तक सुना जाएगा। सुरों की देवी ने 20 से अधिक भाषाओं में यादगार गीत गाए। इनकी आवाज ने पहाड़ों की संस्कृति को भी नवाजा। इनके गाये डोगरी भाषा के गीत कौन भूल सकता है, जिन्हें इनके बाद कई पहाड़ी व डोगरी भाषा के गायकों ने गाए। आज प्रकृति ने उनके शरीर रूप को अपने में विलीन कर लिया, लेकिन वह एक आवाज के रूप में हमेशा रहेंगी। जब पता चला कि महान गायिका लता मंगेश्वर नहीं रहीं तो उनके गाये कई गीत मन में गुनगुनाने लगे। इन्हीं गीतों में एक गीत ‘भला सिपाइया डोगरेआ’, ’निक्कड़े फंगड़ूं उच्ची उड़ान ’, ‘ओड्डनू रंगी दे ललारिया’और ’ तू मल्ला तूं’ याद आ गए। लता एक ऐसी आवाज जो भारत के कौने-कौने में एक नूर की तरह रोशन है। 1942 में तेरह साल की उम्र में गायिकी का सफर शुरू करने वाली लता मंगेश्वर ने नायिका कामिनी कौशल को सिने पर्दे पर अपनी आवाज दी, उसके बाद मधु बाला से लेकर माधुरी तक अभिनेत्रियों के लिए उन्होंने गीत गाए। 2010 तक करीब सत्तर साल लता ने फिल्मों में गीत गाए।
हम उस देश के वासी है जिस देश में गंगा बहती है और लता की आवाज गूंजती है
सच में निराशा में आशा देने वाली, तन्हाइयों में मन को सकूं देने वाली, हर ग़म की हमनवा आवाज थीं लता मंगेश्वर। इस देश के वासी सौभाग्यशाली हैं कि इस धरती पर मां सरस्वती ने साक्षात लता के रूप में जन्म लिया था। हमेशा यह कहना गौरवान्वित भी करता रहेगा कि हम उस देश के वासी है जहां गंगा बहती है और लता की आवाज गूंजती है और हमेशा गूंजती रहेगी।
सुर की देवी के बारे में कुछ खास
उस्ताद अमान अली ख़ान और अमानत ख़ान से संगीत की शिक्षा ली
1942 में मराठी फ़िल्म ‘किती हासिल’ में पहली बार गाना गाया
इसी साल हिंदी फिल्म ‘आपकी सेवा में’ गीत गाया.
1949 में चार हिंदी फ़िल्में रिलीज़ हुईं–‘बरसात’, ‘दुलारी’, ‘महल’ और ‘अंदाज़’.
‘महल’ में उनका गाया गाना ‘आएगा आने वाला आएगा’ से प्रसिद्धी मिली।