गलोड़। मन में कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो कोई भी मुश्किल आड़े नहीं आ सकती। ऐसे ही सच से रूबरू होना है तो आपको नादौनता क्षेत्र के अंतिम छोर पर स्थित गलोड़ क्षेत्र का रुख करना होगा। हम बात कर रहे हैं संजीव कुमार सेठी की, जिन्होंने उपमंडल नादौन के लहड़ा वार्ड से निर्दलीय उतरकर जिला परिषद सदस्य का चुनाव जीतकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। अब हम आपको उनके संघर्ष की जानकारी देते हैं।
संजीव कुमार सेठी ने कानून की पढ़ाई दिहाड़ी मजदूरी करके पूरी की है। नेतृत्व करने का उन्हें शुरू से ही शौक रहा। पढ़ाई के दौरान छुट्टी वाले दिन वे ट्रकों से ईंटें, रेत और बजरी उतारने या मिस्त्री के साथ दिहाड़ी लगाने का काम करते थे। संजीव शुरू से ही छात्र राजनीति में सक्रिय थे। वह एसएफआई के जिला अध्यक्ष और उसके बाद प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे। चुनाव की बात करें तो जिला परिषद सदस्य के तौर पर वे चुनावी रण में कूदे थे। यहां कुल पांच उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। कड़े मुकाबले के बीच उन्होंने सभी उम्मीदवारों को चारों खाने चित्त कर दिया।
एसएफआई कार्यकर्ता के रूप में राजनीति में आए
संजीव एसएफआई कार्यकर्ता के रूप में राजनीति में सक्रिय हुए थे। एसएफआई का कहना है कि जिले में संगठन को मजबूत करने में संजीव की अहम भूमिका रही है। संजीव कुमार सेठी 28 वर्ष के हैं। उनके पिता लाल चंद ग्रामीण डाक विभाग में पोस्टमास्टर हैं और माता सलोचना देवी गृहिणी हैं। उनकी एक बहन है जिसकी शादी हो चुकी है।
मजदूरी कर उठाया पढ़ाई का खर्च
संजीव कुमार सेठी ने मजदूरी कर पढ़ाई का खर्च उठाया है, जो कि आज के युवा वर्ग के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों के वह हमेशा ऋणी रहेंगे, जिन्होंने सेवा करने का मौका दिया है। उन्होंने कहा कि हर वर्ग की समस्याओं को देखते हुए इसके समाधान की कोशिश करेंगे। उनका कहना है कि पिता डाल विभाग में तो हैं, लेकिन उनका वेतन बहुत कम है। इस वेतन से घर का खर्च निकालना भी मुश्किल हो जाता है। वर्तमान में संजीव जिला कोर्ट हमीरपुर में वकील के तौर पर प्रेक्टिस कर रहे हैं। वह प्रदेश विश्वविद्यालय से लाॅ ग्रेजुएट हैं। वे जनवादी नौजवान सभा में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय हैं। इस जीत का श्रेय उन्होंने क्षेत्र के लोगों को दिया है।