नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हर रोज हजारों की संख्या में लोगों की जान जा रही है। अब सबसे बड़ा संकट ऑक्सीजन की कम का है। दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन न मिलने के कारण मरीज तड़प-तड़पकर मरने को मजबूर हैं।
हालात ऐसे हैं कि तड़पते मरीजों को देख हर किसी को रोना आ रहा है। डॉक्टरों की मानें तो इस तरह के हालात उन्होंने पहले कभी नहीं देखे। वे लोग चाहकर भी मरीजों की जान नहीं बचा रहे हैं। अपने आंखों के सामने मरीजों को मरता देख रोना आ रहा है और हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
इस तरह का मंजर पहले कभी नहीं देखा
दिल्ली के रोहिणी में सेक्टर 22 में स्थित धर्मवीर सोलंकी अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ पंकज सोलंकी का कहना है कि पिछले कई घंटों से अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं की गई। ऐसे में मरीजों की जान बचाने के लिए दो दिन से खुद अपनी गाड़ी में ऑक्सीजन का इंतजाम कर अस्पताल में पहुंचा रहा हूं। मेरी आंखों के सामने ऑक्सजीजन की कमी के कारण मरीज तड़प रहे हैं। लाख कोशिशें करने के बाद भी उनके लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इस तरह का मंजर जीवन में पहले कभी नहीं देखा। अब खुद को यह स्थिति देखकर रोना आ रहा है। मजबूरन अपने अस्पताल से मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ रहा है। हालात बहुत खराब हो गए हैं।
आम लोग ऐसा मंजर देखें तो घर से बाहर जाना ही बंद कर देंगे
शालीमार बाग के मैक्स अस्पताल में कोविड ड्यूटी दे रहे डॉ रोहित चौधरी का कहना है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण लोग तड़प-तड़प कर मौत के मुंह में जा रहे हैं। अस्पताल के बाहर मरीजों की लंबी लाइन है और अस्पताल में बेड के लिए गुहार लगा रहे हैं। कई लोगों को अस्पताल में बेड और ऑक्सीजन देने के लिए गिड़गिड़ाते देखा है। यह ऐसा मंजर था कि यदि आम लोग इसे देख लें तो वह घर से बाहर जाना ही बंद कर देंगे। पिछले 15 दिनों में जो स्थिति देखी है, ऐसी पूरे एक साथ में कभी नहीं देखी थी।
हालात बहुत खराब, असहाय और लाचार महसूस कर रहे
हिंदूराव अस्पताल में कोविड ड्यूटी कर रहे डॉ़ मोहित चौधरी कहना है कि इस समय खुद लाचार महसूस कर रहे हैं। हालात बहुत चिंताजनक हैं और चारों तरफ मायूसी नजर आ रही है। हम मरीजों को इलाज देना चाहते हैं, लेकिन जब तक हमारे पास साधन ही नहीं होंगे तो कैसे मरीजों का इलाज करेंगे। फिलहाल अस्पताल में ऑक्सीजन की सीमित मात्रा को देखते हुए 200 बेड ही चालू हैं और इन्हीं बेड पर हम इलाज कर सकते हैं। अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई नॉर्मल होगी तो बेड बढ़ाए जाएंगे ताकि ज्यादा से ज्यादा मरीजों को इलाज दे सकें। जब मरीज हमारे सामने रो रहे हैं तो हम बेहद असहाय और लाचार महसूस कर रहे हैं।
News Source: NBT