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Friday, November 22, 2024

जि़ंदगी से गुफ्तगू करता शायर वीपी सिंह ‘अक्फ़र’

चेहरे पर तनी हुईं मूंछे, बढ़ी दाढ़ी, लंबा कद, हष्ट पुष्ट शरीर एक फौजी जैसा व्यक्तित्व……यह परिचय है एक रिटायर्ड फौजी कर्नल वीपी सिंह का, जिनके अंदर कोमल भाव लिए एक अक्फ़र तखल्लुस का शायर है। इसी शायर की रचनाओं के साथ हम यात्रा करेंगे और वो यात्रा होगी हाल की में प्रकाशित नज्मों के संग्रह ‘जिंदगी आज मुझे जीने दे’ के साथ। ‘जिंदगी आज मुझे जीने दे’ एक ही उनवां पर आधारित यह नज़्म एक सो इक्कसठ पृष्ठों तक हैं, जिसमें हरिक पंक्ति जीवन के शुरुआती पड़ाव से आदमी को वहां ले जाती है जहां अपनी हस्ती का पता चलता है। जिंदगी का आखि़र हासिल क्या है और हम ताउम्र किस जुस्तजू में रहते हैं। हमें क्या पाना है और क्या खोकर हम अपने आप को हासिल होते है। जिंदगी के हरिक पहलू की बात करता शायर  शरारत, लताफत और नजाकत से शुरू करके तजुर्बात की संजीदगी तक ले जाता है।

‘जश्ने-किलकारी से आगाज तेरा                                                                                                 
गोद से पालनों से राज तेरा
जिंदगी जि़द ओ शरीरी भरा
अजब तिफ़्लाना वो अंदाज तेरा

और धीरे से जवानी आती
लहू से जोशे रवानी लाती
धड़कते दिल ओ फड़कते अरमां
हसीं लबरेज कहानी लाती

बाद फिर खत्म फसाने होंगे
गुज़रे दमख़म के तराने होंगे
बांध नज़्मों में ओ अश’आरों’ में
लाग़रे वक्त सुनाने होंगे

जि़ंदगी वक्त तू कैसा भी दे
नर्म या सख़्त तू जैसा भी दे
फ़ख्र से जज़्ब तुझमें हो जाऊं
ज़ब्त करने के तू सलीके दे

जिंदगी आज मुझे जीने दे
जिंदगी आज मुझे जीने दे।।।

 

भारतीय सेना से रिटायर्ड कर्नल विवेक प्रकाश सिंह हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा , पालमपुर में रहते हैंं। ग़ज़ल, नज्म़, कविता व लेख विधाओं में लिखते हैंं। इनकी पहली नज्म़ के मोतियों से पिरोयी किताब ‘जिंदगी आज मुझे जीने दे’ पर लेख रचनाओं के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है। ‘अक्फ़र’ तखल्लुस से कलाम लिख रहे शायर की रचनाओं में जीवन के दर्शन, प्रेम की अनुभूति व आसपास के अनुभवों की बातें  पढ़ने को मिलती हैंं।

 

 

  एस–अतुल अंशुमाली                                                                   –क्रमश:

 

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